लाइव सिटीज पटना: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासत तेज है. आरजेडी समेत कुल 21 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है. दूसरी ओर लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया है कि बीजेपी लोकशाही को राजशाही में बदलने की साजिश रच रही है. राष्ट्रीय जनता दल ने रविवार 28 मई को होने वाले नई संसद भवन के उद्घाटन के दिन को भारतीय लोकतंत्र का काला दिन करार दिया है.
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि देश में लोकशाही को राजशाही में बदलने की साजिश हो रही है. उन्होंने कहा कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत नई संसद भवन के शिलान्यास और उद्घाटन से महामहिम राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को अलग रखा गया है. जबकि भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति ही विधायिका और कार्यपालिका का प्रधान होता है.
राजद प्रवक्ता ने कहा कि संविधान के अनुसार संसद का मुखिया राष्ट्रपति होता है. कार्यपालिका के सारे आदेश के साथ ही सभी शासनादेश भी राष्ट्रपति के नाम से ही जारी होता है. उपराष्ट्रपति ऊपरी सदन यानी राज्यसभा का पदेन सभापति होता है. लेकिन दोनों को इस ऐतिहासिक अवसर से वंचित कर प्रधानमंत्री द्वारा संसद भवन का उद्घाटन करना भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को अपमानित करने के समान है.
आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि जिस प्रकार राजशाही का प्रतीक सेंगोल (राजदंड) को म्यूजियम से निकालकर उसे महिमा मंडित किया जा रहा है. उससे तो यही लगता है कि इस देश में लोकशाही व्यवस्था को बदलकर राजशाही व्यवस्था लागू करने की रणनीति पर केन्द्र की भाजपा सरकार आगे बढ़ रही है. राजशाही व्यवस्था में यह परम्परा रही है कि नये राजा के राज्याभिषेक के समय सेंगोल (राजदंड) को राजपुरोहित मंत्रोच्चार के द्वारा राजा के हाथों सौंपा जाता था.
बता दें कि रविवार 28 मई 2023 को भारतीयों द्वारा बनाए गए नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं. राजद-जदयू, कांग्रेस समेत 21 बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है. दूसरी तरफ इस समारोह में बीजेपी समेत एनडीए के 16 घटक दल के अलावा अन्य 7 गैर एनडीए घटक दल भी समारोह में शामिल होने जा रहे हैं. यानी बहिष्कार करने वालों में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की संख्या 21 है. वहीं संसद भवन के उद्घाटन में जाने वाले राजनीतिक दलों की संख्या 25 होगी.