लाइव सिटीज पटना: देश की नई संसद के उद्धाटन को लेकर विपक्ष का विरोध जारी है. आरजेडी समेत देशभर की 19 सियासी दलों ने संयुक्त रूप से उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कहा है कि वह एक आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ अनशन करेगी. अनशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत तमाम पदाधिकारी और नेता मौजूद रहेंगे.
दरअसल जेडीयू और आरजेडी समेत विपक्ष के 19 दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. इन दलों का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री से नहीं कराकर राष्ट्रपति से कराया जाए. वहीं जेडीयू ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाना दलित, आदिवासी समाज के साथ साथ महिलाओं का अपमान है और जेडीयू इस अपामान को बर्दाश्त नहीं करेगी. बिहार जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि इसके खिलाफ जेडीयू के नेता और कार्यकर्ता 28 मई को बाबा साहब की प्रतिमा के नीचे बैठकर अनशन करेंगे.
उमेश कुशवाहा ने कहा कि राष्ट्रपति संसदीय प्रणाली के अहम अंग होते हैं. राष्ट्रपति का चुनाव सिर्फ बीजेपी के वोट से नहीं हुआ है बल्कि सभी दलों के लोगों ने उनके समर्थन में वोट किया था. राष्ट्रपति किसी एक दल के नहीं होते हैं. बीजेपी संसदीय प्रणाली को खत्म करने की कोशिश कर रही है. आज जिस तरह से इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं कराकर प्रधानमंत्री से कराना कहीं से भी उचित नहीं है.
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश बाबा साहब के सिद्धांतों से चलेगा न कि नरेंद्र मोदी के संविधान से चलेगा. ऐसा काम करने वालों को देश की जनता संविधान से ही मिटा देगी. जेडीयू इसके खिलाफ 28 मई को पटना हाईकोर्ट के पास स्थित बाबा साहेब की प्रतिमा के समक्ष अनशन करेगी और इसके माध्यम से विरोध जताएगी. इस अनशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत तमाम पदाधिकारी और नेता मौजूद रहेंगे.