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शिक्षक महासम्मेलन में शिक्षकों ने भरी हुंकार, कहा-बिना शर्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे सरकार, महाहड़ताल की चेतावनी भी

लाइव सिटीज पटना: नई शिक्षक नियमावली में बिना शर्त सभी शिक्षकों के समायोजन और शिक्षकों की हकमारी को बंद कराने के संकल्प के साथ गांधी मैदान स्थित आईएमए हॉल में बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा का सम्मेलन आयोजित हुआ. बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अठारह घटक संगठनों से जुड़े बिहार के तमाम जिलों के हजारों शिक्षक प्रतिनिधि शिक्षक महासम्मेलन में शामिल हुए.

सम्मेलन हॉल शिक्षकों के जबर्दस्त नारे, एक विद्यालय-एक संवर्ग, नियमित शिक्षकों की भांति हो पूर्ण वेतनमान और सेवाशर्त, कार्यरत शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दो, वादा खिलाफी नही चलेगी, सरकारी विद्यालयों को भेदभाव और हकमारी का अड्डा बनाना बंद करो से रह रहकर गूंजता रहा.

बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि पहले से ही शिक्षकों के कई संवर्ग झेल रहे सूबे के सरकारी विद्यालयों में बिहार अध्यापक नियमावली 2023 विभेदीकरण की प्रक्रिया को और बढ़ावा देगी. कई कोटि और कई संवर्ग के शिक्षक रहने से विद्यालयों का सहज संचालन प्रभावित होता है. सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बहाली तभी संभव है जबकि विद्यालयों में समतामूलक लोकतांत्रिक माहौल की गारंटी हो.

सरकार को इस मसले पर सकारात्मक पहल लेते हुए बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्यवाही एवं सेवा शर्त) नियमावली 2023 में संशोधन करते हुए कार्यरत शिक्षकों को बिनाशर्त राज्यकर्मी के पद पर समायोजित करनी चाहिए. शिक्षक महासम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि समान काम समान वेतन की मांग पर शिक्षक लागातार आंदोलन में रहे हैं.

महागठबंधन सरकार के द्वारा चुनावी घोषणापत्र के माध्यम से बिहार के लाखों शिक्षकों से वादा किया गया था कि सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा, नियमित शिक्षकों के समान सेवाशर्त, समान काम का समान वेतन और पुरानी पेंशन की व्यवस्था की जाएगी. इसके विपरीत कैबिनेट के द्वारा स्वीकृत बिहार राज्य अध्यापक नियमावली 2023 में पूर्व से बहाल शिक्षकों को पूर्णतः अलग थलग रखना उनके श्रमिक अधिकारों की कटौती है.

शिक्षक महासम्मेलन में सर्वसम्मति से शिक्षक प्रतिनिधियों ने महाआंदोलन का भी ऐलान किया. 13 और 14 मई को सूबे के सभी विधायकों का शिक्षकों के द्वारा घेराव किया जायेगा. 20 से 31 मई तक सूबे के सभी जिलों में शिक्षक कन्वेंशन आयोजित होंगे. जुलाई प्रथम सप्ताह में विधानसभा के समक्ष घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन प्रारंभ होगा. तब भी शिक्षकों की मांगे नही मानी गई तो सूबे के शिक्षक प्रदेश व्यापी शिक्षक महाहड़ताल में उतरने को बाध्य होंगे.

मौके पर उपस्थित मोर्चा के घटक संगठनों के शिक्षक नेताओं ने कहा कि सहायक शिक्षक के पदों को पुनर्जीवित करने के बजाय विद्यालय अध्यापक का नया पद गढ़ कर शिक्षकों के वेतन सेवाशर्त आदि तमाम मसलों पर कैंची चला रही है. कार्यरत शिक्षकों को बिनाशर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने के बजाय विद्यालय अध्यापक के पद पर बहाल करने के लिए परीक्षा की बात कर रही है. तमाम शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के अपने ही वादे से मुकरनेवाली महागठबंधन सरकार के फैसले से शिक्षकों में तीखा आक्रोश है. अगर सरकार नियमावली में संशोधन करके कार्यरत शिक्षकों का यह आक्रोश शिक्षक महासम्मेलन से अध्यापक नियमावली विरोधी प्रस्ताव भी पारित किये गये. कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष मंडल सदस्य मार्कण्डेय पाठक ने किया जबकि अध्यक्षता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मंडल ने संयुक्त रूप से किया.

शिक्षक महासम्मेलन को प्रदीप राय, अश्विनी पांडेय, शाकिर इमाम, नागेंद्र सिंह, कृतिंजय चौधरी, नीतेश कुमार, राजू सिंह, राहुल कुमार सिंह, प्रेमचंद्र सिन्हा, बच्चु कुमार, शिव विलास, संजीत भारती, राजेश कुमार, प्रीतिमाला, कुमारी अलका, आशुतोष कुमार राकेश, मनोज कुमार,मुस्तफा आजाद, मुकेश राज, राहुल विकास, नाजिर हुसैन‌ आदि तमाम शिक्षक नेताओं ने संबोधित किया.

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