लाइव सिटीज, पटना: होलिका दहन, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है. यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है. इसके साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. जिसके कारण होलिका दहन के अवसर पर विभिन्न परंपराएं और रीति-रिवाज प्रचलित हैं.
कई जगहों पर इस दिन लोग होलिका की प्रतीकात्मक प्रतिमा बनाकर उसे जलाते हैं, जो बुराई के नाश का प्रतीक है. बिहार में होलिका दहन के दौरान लोकगीत और जोगीरा गाए जाते हैं, जिस पर लोग खूब झूमते नाचते हैं. हालांकि होलिका दहन के दिन होलिका के दहन का एक विशेष मुहूर्त होता है.
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 37 मिनट से हो रही है. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा और 15 मार्च को होली मनाई जाएगी. 14 मार्च को दिन के 12:23 पर जब चैत्र कृष्ण पक्ष शुरू हो रहा है लेकिन भद्रा का साया रह रहा है. इसके कारण होली अगले रोज 15 मार्च को उदया तिथि में चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के मौके पर होली मनाया जाएगा.
इस वर्ष बिहार में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात्रि 10:37 बजे के बाद निर्धारित किया गया है. इस अवसर पर विशेष रूप से पुआ, पकवान, बड़ी आदि खाद्य पदार्थों की होलिका में आहुति देने की परंपरा है.