लाइव सिटीज, पटना: विश्व ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के अवसर पर पटना के पारस एचएमआरआई में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ब्रेस्ट कैंसर से उबर चुकीं मरीजों के साथ-साथ अस्पताल के डॉक्टर, चिकित्सा कर्मी, समाजसेवी और कई एनजीओ ने भी भाग लिया। इस अवसर पर मरीजों और उनके परिजनों को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए पत्र बांटे गए।
कार्यक्रम के दौरान पारस एचएमआरआई के डॉ. ए.ए. हई (डाइरेक्टर जेनेरल सर्जरी), डॉ. शेखर केसरी (सिनियर कंसल्टेंट व हेड रेडिएशन ओन्कोलॉजी), डॉ. अभिषेक आनंद (एचओडी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. आर.एन. टैगोर (मुख्य कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी) , डॉ. मुशर्रत शाहीन (कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. शिव शंकर मिश्रा (कंसल्टेंट, रेडिएशन ओन्कोलॉजी) और डॉ. मोफिजुर रहमान ने ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े सभी पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
डॉ. ए.ए. हई ने कहा कि अक्टूबर माह को विश्वभर में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। पारस एचएमआरआई भी इस दौरान विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करता है, ताकि महिलाओं को नियमित स्क्रीनिंग और स्वयं जांच के लिए प्रोत्साहित किया जा सके, जिससे कैंसर का शुरुआती चरण में ही पता लगाकर प्रभावी इलाज किया जा सके।
इस अवसर पर डॉ. शेखर केसरी ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर आज के समय में महिलाओं में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गया है। उन्होंने इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि स्तन या बगल में गांठ का बनना, त्वचा का लाल या मोटा होना, निप्पल का अंदर की ओर धंसना या असामान्य तरल पदार्थ का निकलना और स्तनों के आकार में बदलाव इसके कुछ लक्षण हो सकते हैं।
आनुवंशिकता को ब्रेस्ट कैंसर का प्रमुख कारण बताते हुए डॉ. केसरी ने कहा कि यदि परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो, तो जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोनल बदलाव, जैसे एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ना, धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी जैसी अस्वास्थ्यकर जीवनशैली भी इसके खतरे को बढ़ा सकती है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर यह बीमारी 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में अधिक देखी जाती है लेकिन अब 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
डॉ. अभिषेक आनंद ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाला सबसे सामान्य कैंसर है। देश में हर साल दो लाख से ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं। जिसमें एक लाख से ज्यादा की मृत्यु हो जाती है। ब्रेस्ट कैंसर को प्रारंभिक स्तर पर पकड़ने के लिए जरूरी है कि नियमित रूप से जांच कराएं। इसके इलाज के लिए कीमो थेरेपी, टारगेट थेरेपी, इम्यूनो थेरेपी और सर्जरी एवं रेडिएशन की मदद ली जा सकती है। समय पर इलाज शुरू कर दिया जाय तो इसे 90 से 100 प्रतिशत तक ठीक किया जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपायों पर जोर देते हुए फैसिलिटी डायरेक्टर अनिल कुमार ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, जिसमें संतुलित आहार और नियमित व्यायाम का महत्व बताया। उन्होंने महिलाओं को सलाह दी कि वे नियमित रूप से स्तन की स्वयं जांच करें, ताकि किसी भी असामान्य लक्षण का समय पर पता चल सके। साथ ही, डॉक्टर की सलाह से 40 वर्ष की उम्र के बाद मैमोग्राफी जैसी स्क्रीनिंग टेस्ट कराना भी आवश्यक बताया, जिससे बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर इसे नियंत्रित किया जा सके।