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आनंद मोहन की रिहाई पर दो खेमे में बंटा बीजेपी, एक ने किया स्वागत दूसरे ने बताया गैर संवैधानिक

लाइव सिटीज पटना: बिहार में आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सियासत जारी है. एक तरफ जहां सत्ताधारी पार्टी इस फैसले का स्वागत कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी इस मामले पर दो खेमे में बंटती दिख रही है. एक तरफ बीजेपी के कई नेता आनंद मोहन की रिहाई को दबी जुबान से सही ठहरा रहे हैं तो कई नेता इसे दलित विरोधी और गैर सैंवधानिक बता रहे हैं. हालांकि ये रिहाई बिहार सरकार के लिए भी गले की हड्डी बन गई है. सरकार के खिलाफ लगातार विरोध के स्वर उठ रहे हैं.

बिहार में आनंद मोहन की रिहाई पर बीजेपी में भी 2 दल बनता दिख रहा है. बीजेपी के कई नेता खुलकर आनंद मोहन की रिहाई पर खुशी जाहिर कर रहे हैं तो कई नेता दलित विरोधी बता रहे. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने आनंद मोहन सिंह की रिहाई को गैर संवैधानिक बताया है, उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो काम न्यायालय का है वो काम सरकार कर रही है.

विजय सिन्हा ने कहा कि ये वही लोग है जो संविधान की दुहाई देते थे और आज संविधान को ही खत्म करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई का मामला कोर्ट देखता, सरकार फैसला लेकर उन्माद का माहौल फैला रही है. बिहार में जंगलराज का माहौल बनाने वाले लोग छूट रहे हैं. आनंद मोहन सिंह की रिहाई गैर संवैधानिक है.

वहीं दूसरी ओर बिहार के पूर्व मंत्री व बीजेपी के नेता नीरज कुमार बबलू ने कहा है कि नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के दबाव में आकर 26 दुर्दांत अपराधी को रिहा कर रहे हैं. इन 26 अपराधियों में ज्यादातर एमवाई समीकरण के अपराधी हैं. नीरज कुमार बबलू ने कहा कि हम आनंद मोहन सिंह के रिहाई का स्वागत करते हैं. क्योंकि, उन्होंने अपनी सजा काट ली है और वह कोई अपराधी नहीं हैं. लालू प्रसाद यादव ने ही उन्हें फंसाया था और अब चुनाव नजदीक देख राजपूत वोट को अपनी और आकर्षित करने के लिए सरकार पर दबाव बनाकर इस तरह के फैसले लिए हैं. आनंद मोहन सिंह की आड़ में अपने दुर्दांत अपराधियों को भी दबाव बनाकर रिहा करवा लिया है.

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