लाइव सिटीज पटना: बाहुबली आनंद मोहन की जेल से रिहाई तो हो गई पर जी कृष्णैया का परिवार समेत कई लोग उनकी रिहाई पर सवाल उठा रहे हैं. आंध्र प्रदेश आईएएस एसोसिएशन ने भी इस पर कड़ी नाराजगी जताई है. वहीं तेलंगाना की महिला आईएएस ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से भी गुहार लगाई है.
दरअसल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी स्मिता सभरवाल ने बिहार में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की हत्या में शामिल दोषियों की रिहाई में सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री की सचिव स्मिता ने बुधवार को कृष्णैया के परिवार के साथ एकजुटता व्यक्त की. ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए जानी जाने वाली स्मिता ने ट्वीट किया कि ‘कभी-कभी ऐसा लगता है कि क्या सिविल सेवक होना ठीक है. सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करें.
बाहुबली आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा कि यह बहुत दुख भरी बात है. हमने तो बिल्कुल सोचा ही नहीं था, उनको रिलीज कर दिया जाएगा. वह आखिरकार बाहर ही गए हैं. हमने सुना है वह आगे जाकर चुनाव में उतरेंगे और अपनी पार्टी भी बना सकते हैं. नीतीश कुमार जी ने जो भी फैसला लिया है यह मुझे बिल्कुल अनफेयर लग रहा है. हम चाहते हैं कि इस फैसले पर दोबारा से विचार किया जाए. हम सुप्रीम कोर्ट को भी अपील कर रहे हैं. पीएम मोदी से रिक्वेस्ट है कि वह हमारी फैमिली के बारे में सोचें. हम तो यही चाहते हैं कि उनको दोबारा जेल भेजा जाए.
वहीं हैदराबाद में रहने वाले कृष्णया के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई को रोकने का अनुरोध किया है. मारे गए आईएएस अधिकारी की पत्नी उमा ने कहा कि बिहार जेल मैनुअल में संशोधन कर पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले से वह स्तब्ध हैं. उमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए और नीतीश कुमार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए, जो एक गलत मिसाल कायम करेगा और पूरे समाज के लिए गंभीर नतीजे होंगे.