लाइव सिटीज पटना: बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का आदेश जारी हो गया है. आनंद मोहन की जेल से परमानेंट रिहाई के आदेश के बाद सियासत भी तेज हैं. हालांकि आनंद मोहन सिंह का कहना है कि कि मेरी रिहाई के आदेश में किसी भी तरह के नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है. वहीं जेल से परमानेंट रिहाई के बाद आनंद मोहन ने भाजपा में जाने के सवाल पर चुप्पी तोड़ी है और उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के विपक्षी एकता की मुहिम का स्वागत किया है.
दरअसल आनंद मोहन बीते 11 अप्रैल को ही बेटे की शादी में शामिल होने के लिए जेल से पेरोल पर बाहर आए थे. 15 दिनों के लिए पेरोल पर बाहर आए आनंद मोहन ने आगामी राजनीतिक भविष्य को लेकर भी बात की. वहीं जब आनंद मोहन से पूछा गया कि भाजपा भी आपकी रिहाई की मांग करती रही है, तो ऐसे में किस पार्टी से राजनीतिक करियर का पार्ट-2 शुरू करेंगे. इसपर आनंद मोहन ने कहा कि बेटे की शादी के बाद फिर से जेल जाना है. फिर जब रिहाई पर ठप्पा लगेगा, तो लोगों को बुलाकर तय करेंगे कि क्या करना है. आनंद मोहन ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं. जेल में ही था. इसलिए राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ है.
आनंद मोहन ने नीतीश कुमार द्वारा जारी विपक्षी एकजुटता की पहल पर कहा कि वे अपने मुहिम पर हैं. देश में एक सशक्त प्रतिपक्ष की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं होगा तो देश में तानाशाही का दौर आने की संभावना है. लोकतंत्र में व्यक्ति की नहीं, विचारधारा की पूजा हो. लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का तकाजा है. दरअसल नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं. इसी कड़ी में वह विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं.
बता दें कि पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णेया हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में संशोधन के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा, जिसमें उनके सहित 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी गई है. आनंद मोहन बीते 11 अप्रैल को ही बेटे की शादी में शामिल होने के लिए जेल से पेरोल पर बाहर आए हैं. वह 15 दिनों के लिए पेरोल पर बाहर हैं.