लाइव सिटीज, पटना: छपरा में जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर बिहार का सियासी पारा चरम पर पहुंच चुका है. मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर बनी हुई है. बीजेपी का कहना है कि जब उत्पाद अधिनियम में मुआवजे के प्रावधान है तब सरकार पीड़ित परिवारों को मुआवजा क्यों नहीं दे रही है. वहीं सरकार पर जहरीली शराब से हुई मौत के आंकड़े को छुपाने का भी आरोप लग रहा है.
विपक्ष की इस मांग पर मद्य निषेध विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि अभी तक 38 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और मुआवजा इसलिए नहीं दी जा सकती, क्योंकि शराब पीना संजय अपराध में शामिल है, गोपालगंज में मुआवजा देने के सवाल पर सुनील कुमार ने कहा कि प्रधान किया गया है. ऐसे में शामिल लोगों से राशि वसूल कर पीड़ितों को देने का प्रावधान है. उसी के तहत गोपालगंज में में भी दिया गया था.
आपको बता दे की बिहार सरकार के गजट में शऱाब पीने से मौत होने पर परिजनों को 4-4 लाख देने का प्रावधान है. लेकिन यह राशि शराब बेंचने-निर्माण करने वालों से लेकर देना है. जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है. शऱाबबंदी के बाद पहली बार 15 अगस्त 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्नी गांव में जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत हुई थी. मौत के बाद पीड़ित परिवार को 4-4 लाख का मुआवजा दिया था.