लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयोग का दस्तावेज जांच अभियान मतदाता विरोधी नहीं है। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि यह कवायद मतदाताओं की सुविधा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है, न कि उन्हें सूची से बाहर करने के लिए।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने इस प्रक्रिया को ‘एंटी वोटर’ और ‘अलगाववादी’ करार दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि दस्तावेज जांच का उद्देश्य लोगों को मतदाता सूची से हटाना है।
इस पर जस्टिस बागची ने कहा कि अदालत को नागरिकता साबित करने के लिए उपलब्ध दस्तावेजों की संख्या देखनी चाहिए, जो वास्तव में मतदाताओं के हक में है। अदालत ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग का यह कदम प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए है।
मामले की सुनवाई में शामिल जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चुनाव आयोग कहता कि सभी 11 दस्तावेज जरूरी हैं, तो यह मतदाताओं के खिलाफ समझा जा सकता था, लेकिन अगर कहा जाता है कि 11 विश्वसनीय दस्तावेजों में से कोई भी दें सकते हैं, तो यह मतदाताओं के अधिकारों का समर्थन ही करता है।