लाइव सिटीज, पटना: दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ आज (मंगलवार) से प्रारंभ हो रहा है. आज सुबह से ही गंगा घाट व अन्य नदियों के किनारे स्नान करने के लिए छठ व्रतियों का तांता लगा हुआ है.मान्यता है कि छठी मैया और सूर्यदेव की कृपा से निःसंतान को संतान हो जाती है. असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ्य हो जाते हैं. घर परिवार में खुशियां आती हैं.
नहाय खाय के दिन स्नान के बाद व्रती प्रसाद स्वरूप घर में या पूजन स्थल पर चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल (भात) पकाती हैं. पूजन के बाद व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करेंगी. साथ ही घर-परिवार के सदस्यों के बीच व आसपास के लोगों को नहाय खाय के दिन का प्रसाद खिलाया जाता है. इसमें लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है.
मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी (जलावन) छठ में भोजन पकाया जाता है. बता दें कि छठ में स्वच्छता और शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है. ग्रामीण और अर्द्ध शहरी इलाके में छठ पर्व के लिए व्रती कई माह पहले से तैयारी में जुट जाती हैं. पर्व में प्रसाद पकाने के लिए ज्यादातर जगहों (गांवों) में स्वयं मिट्टी का चूल्हा बनाती हैं. शहरी क्षेत्र में नये ईंट से भी तात्कालीक चूल्हा बनाया जाता है. विकल्प के तौर पर कई परिवार गैस स्टोव का भी उपयोग करते हैं.
छठ महापर्व का पहला दिन नहाय खाय होता है. इस अवसर पर व्रती दिन में एक ही बार प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसमें आम की लकड़ी के आग पर परंपरागत तरीके से खाना पकाया जाता है. इसमें चने की दाल, कद्दू और चावल (भात) पकाया जाता है. भोजन पकाने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के बर्तन का उपयोग किया जाता है. दाल, भात और कद्दू की सब्जी व्रती और उनका परिवार ग्रहण करते हैं. साथ ही इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए दोस्तों और शुभ चिंतकों को आमंत्रित करते हैं.