लाइव सिटीज, पटना: मणिपुर में महिलाओं पर हो रहे जुल्म, बलात्कार, हिंसा के खिलाफ एवं शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर जन अधिकार पार्टी द्वारा पटना के सचिवालय हॉल्ट पर राज्यव्यापी रेल चक्का जाम किया गया, जिसमें शामिल होते हुए जन अधिकार युवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष राजू दानवीर ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि “रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था।” ऐसे ही कुछ हालत आज हमारे देश के अभिन्न राज्य मणिपुर का है। यूं कह कि 2 महीनों से मणिपुर जल रहा है और मोदी सरकार चुनाव की बंसी बजा रही है। उन्होंने कहा कि आज जो मणिपुर की हालात है, उसका वर्णन करना भी दुखदायक है। दानवीर ने कहा कि विगत दिनों जिस तरह से कारगिल युद्ध में अपनी सेवा दे चुके आर्मी मैन के परिवार की महिलाओं के साथ उत्पीड़न की घटना हुई, वह हमें शर्मसार करता है। यह देश के लिए अमृत काल नहीं, विष काल है। शर्मसार काल है।
राजू दानवीर ने कहा कि मणिपुर 2 महीनों से जल रहा है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। 200 से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके बावजूद भी देश का गृह मंत्रालय और क्रेडिट लेने वाले प्रधानमंत्री के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहे। अगर केंद्र की सरकार चाहती तो मणिपुर को यूं नफरत की आग में जलने से बचा सकती थी। लेकिन मोदी सरकार ने इसकी जरूरत तक नहीं समझी।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है जो आज आग की लपटों में झुलस रही है। लेकिन डबल इंजन वाली भाजपा सरकार सत्ता सुख में मदहोश है जिसके खिलाफ आज हमें आदरणीय श्री पप्पू यादव जी के नेतृत्व में आंदोलन को मजबूर होना पड़ा। हम मांग करते हैं कि देश को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद भाजपा की सरकार गद्दी छोरे और अविलंब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। हम मणिपुर के दोषियों के लिए भी ऐसी सजा की मांग करते हैं जिससे अपराधियों की रूह कांप जाए और भविष्य में कोई ऐसा करने की भी ना सोचे। उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना से आज हर कोई शर्मसार है।
वही राजू दानवीर ने बिहार में शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को भी लागू करने की बात को दोहराई और कहा कि यह बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों का अधिकार है। जो बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों को मिलनी चाहिए। इसको लेकर जन अधिकार पार्टी और जन अधिकार युवा परिषद आज भी अडिग है। राज्य सरकार अपनी इस नीति को वापस ले और शिक्षकों की हक मारी ना करें।