लाइव सिटीज पटना: बिहार के गया ज़िला के नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज की मेघा की उम्र पांच साल है. जब वह दो साल की थी तब अक्सर माता-पिता के पुकारे जाने पर वह अपनी प्रतिक्रिया नहीं देती थी. माता पिता को यह लगा कि शायद बच्ची को बोलने में समय लगेगा. इसे लेकर कुछ समय तक तो वे इत्मिनान रहे लेकिन मन में यह बात खटकती रही. उन्होंने महसूस किया कि दूसरे बच्चों की तरह उनकी बच्ची का प्रतिक्रिया नहीं देना कोई साधारण बात नहीं है. इसे लेकर उन्हें कई अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ा. तब पता चला कि उनकी बच्ची की सुनने की क्षमता प्रभावित है. वह सुन नहीं पाती. मेघा का नहीं सुन पाना उसके माता पिता के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन गया. ना तो इतना पैसा था कि वह इलाज में खर्च कर सकें ना ही किसी बड़े अस्पताल में जाने के संसाधन.
इस बीच गांव की आशा मुन्नी कुमारी ने उनके इस परेशानी को हल कर दिया. आशा ने मेघा के पिता जयराम सिंह को यह बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे बच्चों के कानों की जांच की जाती है और किसी परेशानी होने पर इसका इलाज किया जाता है. उसने बताया कि इसके लिए श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत कैंप लगाया जाता है. इस जानकारी के बाद जयराम अपनी बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों से संपर्क किया. फिर बच्ची के कानों की आवश्यक जांच व इलाज की प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रारंभ की गयी.
बता दें कि पिछले वर्ष जून जुलाई-अगस्त माह में व्यापक पैमाने पर जयप्रकाश नारायण अस्पताल में विशेष अभियान चलाकर स्क्रीनिंग करवाया जा रहा था. उसी दौरान मेघा का भी कानपुर के चिकित्सकों द्वारा स्क्रीनिंग करवाया गया सितंबर माह में बेरा टेस्ट करवाया गया तथा दिसंबर माह में मेघा को विशेष जांच के लिए कानपुर भेजा गया. कल यानी 11 अप्रैल 2023 को इमामगंज की मेघा का सफलतापूर्वक सर्जरी करते हुए कॉकलियर इंप्लाट लगाया गया.
जयराम बताते हैं कि वह परदेस में रह कर जीविकोपार्जन करते हैं. श्रवण श्रुति की मदद से उन्हें काफी लाभ मिला है. उनका कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह बच्ची की सर्जरी कर सके. इस सर्जरी और इलाज में जिला पदाधिकारी की विशेष पहल से स्वास्थ्य विभाग की काफी मदद मिली है और सभी खर्च सरकार द्वारा वहन किये गये हैं.
12 बच्चों को मिली श्रवण श्रुति की मदद
जिला में श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से 12 बच्चों के कानों की सफल सज्ररी की जा चुकी है. इन बच्चों के सर्जरी कर कॉकलियर इंप्लाट किया गया है. अब ये बच्चे अपने मां-बाप आवाजें सुन सकेंगे. सर्जरी के बाद इन बच्चों के माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान है. उन्हें अब आशा हैं कि वह अपने बच्चों की बोली सुन सकेंगे. बच्चे अपने मातापिता को प्रतिक्रियाएं दे सकेंगे. श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से कानपुर स्थित मेहरोत्रा ईएनटी अस्पताल में इन बच्चों की सर्जरी की गयी. इनमें बोधगया के तीन, बेलागंज के एक, गुरुआ के एक, इमामगंज के दो, शेरघाटी के एक, टिकारी के तीन और वजीरगंज के एक बच्चे शामिल हैं.
स्वस्थ्य भविष्य की जिलाधिकारी ने की कामना
श्रवण श्रुति कार्यक्रम का अनुश्रवण जिला पदाधिकारी डॉ० त्यागराजन एस एम द्वारा नियमित रूप से सभी संबंधित पदाधिकारियों के साथ समीक्षा करते हैं. साथ ही पहले जितने भी सर्जरी हो चुके हैं उन बच्चों में वर्तमान स्थिति का भी जानकारी लेते हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से ऐसे सभी बच्चे जो सही प्रकार से नहीं सुन पाते या पूरी तरह से बहरापन के शिकार है, उनके सर्जरी और इलाज की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा की जायेगी. उन्होंने सर्जरी हुए बच्चों के स्वस्थ्य भविष्य की कामना करते हुए उनके माता-पिता को बच्चों की नियमित थेरेपी की सलाह दी है. बच्चों के बेहतर खानपान पर भी ध्यान देने के लिए कहा है.
स्क्रीनिंग की संख्या को बढ़ाने का हो रहा काम
सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह ने बताया कि जिला में कैंप लगाकर बच्चों की स्क्रीनिंग की संख्या को बढ़ाया जा रहा है. अधिक से अधिक ऐसे बच्चों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है जो बहरापन के शिकार हैं. ऐसे बच्चों के मातापिता अपने नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक से मिलकर इसके बारे में विस्तार से जानकारी ले सकते हैं. साथ ही जयप्रकाश नारायण अस्पताल में बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के समन्व्यक से मिल सकते हैं. डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया बच्चों की स्क्रीनिंग के बाद आवश्यक जांच किया जाता है. बहरापन के शिकार बच्चों के ईलाज के लिए पूरी व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग कर रही है.