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एम्स पटना में नवंबर 2024 तक क्रिटिकल केयर यूनिट अस्पताल बनकर हो जायेगा तैयार, ICU में 300 से अधिक बेड होगा उपलब्ध

लाइव सिटीज फुलवारी शरीफ अजीत: पटना एम्स में गंभीर रूप से बीमार मरीजों की भर्ती में होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से लगातार पटना एम्स के निदेशक डॉक्टर जीके पाल सतत प्रयत्नशील हैं. इतना ही नहीं फैकल्टीज के रिक्त पदों की भर्ती की प्रक्रिया लगातार चल रही है. पटना एम्स में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, क्रिटिकल केयर यूनिट अस्पताल, मैडिकल उपकरण की कमी को दूर करने , मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए स्पोर्ट्स सेंटर योगा सेंटर समस्याओं के समाधान पर तेजी से काम चल रहा है. मंगलवार की शाम पटना एम्स में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पटना एम्स के निदेशक डॉ जीके पाल ने यह जानकारी दी .

निदेशक डॉक्टर जीके पाल ने बताया कि देशभर के सभी एम्स से ज्यादा तेजी से मरीजों की सुविधाओं को पटना एम्स उपलब्ध करा रहा है . उन्होंने बताया कि पटना एम्स का वेबसाइट पर एम्स के विकास योजनाओं फैकल्टीज की भर्ती , फैकल्टीज की रिक्तियों, नन फैकल्टीज समेत सारी जानकारियां सबसे पहले अपडेट की जाती हैं . उन्होंने आगे बताया की गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए एम्स में फिलहाल 121 वेंटीलेटर युक्त इमरजेंसी बेड पर मरीजों का इलाज हो रहा है. अत्यंत गंभीर रूप से भर्ती होने वाले मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं होने के सवाल पर बताया की नवंबर 2024 तक क्रिटीकल केयर यूनिट अस्पताल बनकर तैयार हो जायेगा. इस अस्पताल में वेंटीलेटर युक्त आईसीयू में 300 से अधिक बेड की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी.

एम्स की कोशिश रही है कि एम्स आने वाले मरीज यहां से लौटकर नहीं जाएं. गया के बिहार के अधिकांश मेडिकल कॉलेजों एवं निजी हॉस्पिटलो से अत्यंत गंभीर रूप से बीमार मरीजों को पटना एम्स रेफर कर दिया जाता है, ऐसे में पटना एम्स की प्राथमिकता एम्स में पहले से भर्ती मरीजों को वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड उपलब्ध कराने की रहती है . बाहर से आने वाले अत्यंत गंभीर रूप से बीमार मरीजों में रोजाना करीब 100 में 8 से 10 मरीजों को ही लौटना पड़ रहा है. बाकी के इलाज और बेड की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया की सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना एम्स के लिए करीब 26 एकड़ जमीन उपलब्ध कराया जा रहा है जहां मरीजों की सुविधाओं को विस्तारित रूप में मुहैया कराया जाएगा. उन्होंने बताया की एम्स पटना में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा तीन माह में उपलब्ध हो सकेगा . फिलहाल नेफ्रोलॉजी विभाग के दो फैकल्टी अपनी सेवा दे रहे हैं . न्यूरो विभाग में डॉक्टर आनंद विभागाध्यक्ष ज्वाइन किए हैं, अब न्यूरो के मरीजों को इलाज में कोई परेशानी नहीं होगी . इसके अलावा एम्स में नेफरोलॉजी एवम कार्डियो लॉजी में डी एम कोर्स शुरू हो गया है.उन्होंने बताया की रोजाना 5 हजार से ऊपर मरीज ओपीडी में आ रहे हैं जो एम्स में सर्वोत्तम ऊपचार को दर्शाता है लेकिन इतने बड़ी संख्या में हर मरीज को एम्स में सारी सुविधाओ को मुहैया कराया जाना संभव नहीं है.उन्होंने बताया की जांच करवाने वाले मरीजों की परेशानी को दूर करने के लिए जल्द ही एक और ई एम आर आई मशीन एम्स में लगाया जाएगा .इसके अलावा नीकु का अभी आठ बेड है और जल्द ही 24 बेड की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी.

पटना एम्स सरकार के अलावा अन्य निजी संस्थाओं के संपर्क में है जिनसे सहायता लेकर एम्स में उपकरणों की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. एम्स पटना के निदेशक प्रोफेसर गोपाल कृष्ण पाल ने एम्स पटना में पिछले 4-5 महीनों में विभिन्न फैकल्टी और नॉन-फैकल्टी पदों पर की गई नियुक्तियों के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि अब तक एम्स पटना में मौजूद रिक्तियों को त्वरित गति से भरते हुए लगभग तीन चौथाई फैकल्टी पदों को भरा जा चुका है. पिछले दो महीनों में एम्स पटना ने सीनियर रेज़िडेंट, जूनियर रेसिडेंट, नर्सिंग, अन्य नॉन फैकल्टी पदों पर लगातार भर्तियाँ की है जिसके फलस्वरूप वर्तमान में रिक्तियों की संख्या घट कर एक तिहाई रह गई हैं. ज्ञात हो कि एम्स पटना ने एक कीर्तिमान स्थापित करते हुए फैकल्टी पदों की प्रथम भर्ती प्रक्रिया के पाँच दिन के अंदर और द्वितीय भर्ती प्रक्रिया के 24 घंटों के अंदर ही परिणाम प्रकाशित कर दिया.

निदेशक एम्स पटना ने बताया कि कई महीनों से रिक्त पड़े तीन सुपर स्पेशलिटी विभाग जैसे किडनी रोग , हृदय रोग एवं न्यूरोलॉजी विभाग में कुछ रिक्तियों भर ली गई हैं और तीनों ही विभाग अभी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं. एम्स पटना ने सेवाओं का विस्तार करते हुए कई नये प्रोजेक्ट शुरू किए हैं जिनमे एक बर्न हॉस्पिटल भी इसी साल अगस्त तक तैयार हो जाने की उम्मीद है क्योंकि इसका निर्माण अपने अंतिम चरण में है . एम्स पटना को एक अलग अकादमिक भवन बनाने के लिए भी मंत्रालय से बजट स्वीकार हो चुका है जिसका प्रयोग पठन पाठन व रिसर्च के लिये किया जाना है.

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