लाइव सिटीज पटना: सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. एक दो नहीं बल्कि कई विधायकों ने एक जैसी बात कही है. इन विधायकों का कहना है कि थाने में केस दर्ज नहीं होता है. ऐसे मुद्दे अक्सर विपक्ष की ओर से सदन में उठाए जाते रहे हैं लेकिन बिहार में इन दिनों सत्ता पक्ष के कुछ विधायक ही ऐसे सवाल उठा रहे हैं. आरजेडी, कांग्रेस और भाकपा माले के विधायकों ने विधानसभा में सवाल उठाया कि एफआईआर के लिए थानेदार लोगों को दौड़ाते हैं. महीनों हो जाते हैं लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं होती है.
आरजेडी के विधायक ऋषि मिश्रा ने कहा कि पूरे बिहार के थाने का यही हाल है. आपके साथ कुछ घटना घटती है तो आप एफआईआर के लिए थाने में दौड़ते रहे. उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में औरंगाबाद जिले के दाउदनगर में एक मोबाइल कंपनी के टावर से सिस्टम और कई अन्य सामान को चोरों ने चुरा लिया. एफआईआर दर्ज करने के लिए थानेदार कई दिनों तक टावर के मैनेजर को दौड़ाते रहा. जब उन्होंने इस मामले में खुद थानेदार को फोन किया तो मामला दर्ज करने की जगह टावर के मैनेजर को खरी-खोटी सुना दी. जब विधानसभा में यह मामला उन्होंने उठाया तब जाकर 20 दिन बाद थाने में मामला दर्ज हुआ.
वहीं भाकपा माले के विधायक अमरजीत कुशवाहा ने कहा कि थाने के काम में गड़बड़ी है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस बात को हम लोग पहले भी सदन में उठाते रहे हैं. सरकार को इस मामले में सख्त होना पड़ेगा. सदन में उठे मुद्दे के बाद कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने बताया कि स्थानीय थाने की पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है.
कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने बताया कि जो चढ़ावे वाली बात है वह भी सत्य है. प्रतिमा दास ने कहा कि अगर कोई माननीय फोन करेगा तो शिकायत दर्ज होगी और अगर नहीं किया तो एफआईआर दर्ज नहीं होगी. उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में भी लगभग यही स्थिति है.सीपीआई (एमएल) के विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी विधायकों से नहीं मिलते हैं और न ही उनका फोन उठाते हैं. बेइज्जती होती है. काम न करने वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर नीतीश कुमार को कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वो नहीं कर रहे हैं.